Saturday, 15 August 2015

करोड़पति बनना सभी चाहते हैं लेकिन बनते कौन हैं....

एक अच्छी गाड़ी एक अच्छा बंगला और अच्छे रिश्ते सभी के सपने होते हैं। सभी चाहते
हैं कि वो करोड़पति बनें। तो क्या सभी करोड़पति बन पाते है क्या सभी वो सपने पुरे कर
पाते हैं जो वो देखते हैं। नहीं ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपने देखे सपनो को पूरा
करते हैं। अधिकतर लोग हालातों के साथ समझोता कर लेते हैं। सपनों को पूरा करने के
लिए हम सबसे पहले अपना एक लक्ष्य तय करते हैं। लक्ष्य भी सभी तय कर ही लेते हैं।
लेकिन बात आती है उस लक्ष्य को हासिल करने की।
तो जो लोग अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं और जो नही कर पाते उनमे बस एक ही
फर्क होता है। वो होता है फोकस का। लक्ष्य जितना बड़ा होता है। उसको हासिल करने
 में कठिनाइयां भी उतनी ही बड़ी आती हैं। अधिकतर लोग कठिनाईयो का सामना नहीं
कर पाते और हालातों के साथ समझोता कर लेते हैं। और आसान रास्ता ढूंढना शुरू
कर देते हैं। जो अपने लक्ष्य को हासिल करते है वो कभी हालातों के साथ समझोता नही
करते । उनको सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज दिखती है जो उनको हासिल करनी है । और
सुबह उठते रात को सोते बस एक ही ख्याल दिमाग में होता है। दूसरे कामों को भी वक्त
देते हैं बस उतना जितने में वो काम पूरा हो जाये बस। लेकिन focus एक ही जगह रहता
है चाहे कितनी भी मुशीबत या रुकावटें क्यों न आएं वो हार नही मानते । और ज्यादा
मजबूत होते चले जाते हैं। और एक दिन वो उनकी मुठ्ठी में होता है जो वो चाहते हैं और
बन  जाते हैं बादशाह! और
ऐसे बहुत से उदाहरण आप स्वयं जानते हैं।

Friday, 14 August 2015

क्या आप अब भी कहोगे की आजादी गांधी ने दिलवाई?


शायद इतिहास में यही पढ़ाया जाता है कि
गाँधीजी. . .आइये आज जानते है
उनकी कुछ महानताए
@ महानता 1. . . . . .शहीद-ए-आजम भगतसिंह
को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान
पुजारी गांधी ने कहा था. . .‘हमें ब्रिटेन के
विनाश के बदले अपनी आजादी
नहीं चाहिए।’’ और आगे कहा. . .‘‘भगतसिंह
की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो
रही है वहीं (फांसी) इसका
परिणाम गुंडागर्दी का पतन है। ऐसे बदमाशो को
फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30
मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई
बाधा न आवे" ।
अर्थात् गांधी की परिभाषा में
किसी को फांसी देना हिंसा नहीं
थी ।
@ महानता 2 . . . . . . इसी प्रकार एक ओर
महान्क्रा न्तिकारी जतिनदास को जब आगरा में अंग्रेजों ने
शहीद किया तो गांधी आगरा में
ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक
शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ
इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए
कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में
किसी प्रकार की दया और सहानुभूति
नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे
अहिंसावादी गांधी।
@ महानता 3 . . . . . जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के
लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा
मनोनीत सीतारमैया के मध्य मुकाबला हुआ
तो गांधी ने कहा. . .यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे
राजनीति छोड़ देंगेलेकिन उन्होंने अपने मरने तक
राजनीति नहीं छोड़ी जबकि
रमैया चुनाव हार गए थे।
@ महानता 4 . . . . . .इसी प्रकार गांधी
ने कहा था. . . . .“पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा”
लेकिन पाकिस्तानउनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे
हमारे सत्यवादी गांधी ।
@ महानता 5 . . . . . . इससे भी बढ़कर
गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का
समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू
बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ?
@ महानता 6 . . . . . .गांधी ने अपने
जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रह)
चलाए और तीनों को ही बीच में
वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि
आजादी गांधी ने दिलवाई।
@ महानता 7 . . . . .इससे भी बढ़कर जब देश के
महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो
गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद
चौधरी ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा
सफल पाखण्डी लिखा है।
@ महानता 8 . . . . . इस आजादी के बारे में
इतिहासकार CR मजूमदार लिखते हैं “भारत की
आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना
सच्चाई से मजाक होगा।
यह कहना कि सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई
बहुत बड़ी मूर्खता होगी।
इसलिए गांधी को आजादी का
‘हीरो’ कहना उन क्रान्तिकारियों का अपमान है
जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना
खून बहाया। ”यदि चरखों की आजादी
की रक्षा सम्भव होती है तो बार्डर पर
टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए
जाते. . . . . .?
अगर आप सहमत है तो इसकी सच्चाई "Share"
कर देश के सामने पाखण्डी को उजागर करें।. . . . .
.जय हिन्द. . . . .जय भारत
शहीदे आज़म भगत सिंह को फांसी कि
सजा सुनाई जा चुकी थी, इसके कारण
हुतात्मा चंद्रशेखर आज़ाद काफी परेशान और चिंतित हो
गए।
भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए
आज़ाद ने ब्रिटिश सरकार पर दवाब बनाने का फैसला लिया इसके लिए
आज़ाद ने गांधी से मिलने का वक्त माँगा लेकिन
गांधी ने कहा कि वो किसी
भीउग्रवादी से नहीं मिल
सकते।
गांधी जानते थे कि अगर भगतसिंह और आज़ाद जैसे
क्रन्तिकारी और ज्यादा दिन जीवित रह गए
तो वो युवाओं के हीरो बन जायेंगे। ऐसी
स्थिति में गांधी को पूछनेवाला कोई ना रहता।
हमने आपको कई बार बताया है कि किस तरह गांधी ने
भगत सिंह को मरवाने के लिए एक दिन पहले फांसी
दिलवाई। खैर हम फिर से आज़ाद कि व्याख्या पर आते है।
गांधी से वक्त ना मिल पाने का बाद आज़ाद ने नेहरू से
मिलने का फैसला लिया , 27 फरवरी 1931 के दिन
आज़ाद ने नेहरू से मुलाकात की।
ठीक इसी दिन आज़ाद ने नेहरू के सामने
भगत सिंह की फांसी को रोकने
की विनती की।
बैठक में आज़ाद ने पूरी तैयारी के साथ भगत
सिंह को बचाने का सफल प्लान रख दिया।
जिसे देखकर नेहरू हक्का -बक्का रह गया क्यूंकि इस प्लान के
तहत भगत सिंह को आसानी से बचाया जा सकता था।
नेहरू ने आज़ाद को मदद देने से साफ़ मना कर दिया इस पर आज़ाद
नाराज हो गए और नेहरू से जोरदार बहस हो गई फिर आज़ाद
नाराज होकर अपनी साइकिल पर सवार होकर अल्फ्रेड
पार्क की होकर निकल गए।
पार्क में कुछ देर बैठने के बाद ही आज़ाद को पोलिस ने
चारो तरफ से घेर लिया। पोलिस पूरी तैयारी के
साथ आई थी जेसे उसे मालूम हो कि आज़ाद पार्क में
ही मौजूद है।
@ आखरी साँस और आखरी
गोली तक वो जाबांज अंग्रेजो के हाथ नहीं
लगा ,आज़ाद की पिस्तौल में जब तक गोलियाँ बाकि
थी तब तक कोई अंग्रेज उनके करीब
नहीं आ सका।
आखिरकार आज़ाद जीवन भरा आज़ाद ही
रहा और उस ने आज़ादी में ही
वीरगति को प्राप्त किया।
अब अक्ल का अँधा भी समझ सकता है कि नेहरु के
घर से बहस करके कर पार्क में 15 मिनट अंदर
भारी पोलिस बल आज़ाद को पकड़ने के लिए बिना नेहरू
की गद्दारी के नहीं पहुँचा जा
सकता था।
नेहरू ने पोलिस को खबर दी कि आज़ाद इस वक्त पार्क
में है और कुछ देर वहीं रुकने वाला है। साथ
ही कहा कि आज़ाद को जिन्दा पकड़ने की
भूल ना करें नहीं तो भगतसिंह
की तरफ मामला बढ़ सकता है।
लेकिन फिर भी कांग्रेस कि सरकार ने नेहरू को किताबो में
बच्चो का क्रन्तिकारी चाचा नेहरू बना दिया और आज
भी किताबो में आज़ाद को "उग्रवादी" लिखा
जाता है।
लेकिन आज सच को सामने लाकर उस जाँबाज को आखरी
सलाम देना चाहते हो तो इस पोस्ट को शेयर करके सच्चाई को
सभी के सामने लाने में मदद करें।

Wednesday, 24 June 2015

Law of attraction की सच्चाई

Law of Attraction....

Law of attraction के बारे में सभी ने सुना होगा। अगर नही सुना तो The Secret
Movie देख लीजिये। 

क्या कहता है Law of attraction...

Law of attraction के अनुसार हम जो भी हैं जैसे भी हैं । हमारी अपनी सोच के 
द्वारा निर्मित है। तो क्या आपको यह बात ठीक लगती है । कि इंसान उसकी सोच 
द्वारा निर्मित प्राणी है.... जी हाँ इसमें कोई दोहरायय नही कि इंसान उसकी सोच 
द्वारा निर्मित प्राणी है। हम जो भी हैं हमारी सोच का नतीजा हैं चाहे वो हमारी 
आर्थिक स्तिथि हो या स्वास्थ्य। हमारी सोच का ही नतीजा है।
हम जिन चीजी के बारे में सचते हैं वही हमारी तरफ आकर्षित होती रहती है।
अगर हम अच्छे स्वस्थय के बारे में सोचेंगे तो स्वस्थ ही रहेंगे। अगर हम पैसे के 
बारे में सोचेंगे तो हम ज्यादा पैसे को आकर्षित करेंगे और वो आपके पास आएगा भी। लेकिन कुछ लोग इस बात पर विशवास नही करतें। कहते है अगर सिर्फ सोचने
से पैसा आता तो सभी के पास आ जयेगा फिर समस्या क्या है। तो फिर कमाने की 
जरूरत ही क्या है सोचो और पैसा पाओ।।।।।
तो उनके लिए मेरा एक सीधा सा उत्तर है कि आप इस श्रेणी से बहार हो...
 पानी हमारे लिए जरूरी है क्या हम सिर्फ और सिर्फ पानी से जी सकते हैं?
हवाहवा हमारे लिए जरूरी है क्या हम सिर्फ हवा से जी सकते है?
भोजन हमारे लिए जरूरी है क्या हम सिर्फ भोजन खाकर जी सकते हैं?
उत्तर होगा नही कभी नहीं।
तो इसी तरह सिर्फ सोच से आप अपने लक्ष्य पर नही पहुच सकते। उसके लिए जो
जरूरी काम है वो तो आपको करने ही होंगे । हाँ इतना जरूर है कि सकारात्मक
सोचने से आप उस काम को असानी से पाओगे और कामयाबी जल्द मिलेगी और 
वो सभी चीजें आपकी तरफ आकर्षित होंगी जो आपके लक्ष्य के लिए जरुरी है।
और आप अपने लक्ष्य तक पहुच जाओगे।
तो सकारात्मक सोचे और बढतेजाएँ।


सोच और उसके प्रभाव...

सोच और उसके प्रभाव.......

इंसान उसकी सोच से ही निर्मित प्राणी है। जो जैसे सोचेगा वो वैसा पायेगा। आज जो भी 
जीतनी भी महान सख्शियत है उनके वो बनने में उनकी सोच का ही मुख्य योगदान रहा 
है। Law of attraction ब्रह्माण्ड की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी वस्तु पर काम
करता है चाहे वो सजीव हो या निर्जीव। 
हम जब सोचते हैं तो हमारे दिमाग में से तरंगे निकलती है। और अगर आप विज्ञानं की 
समझ रखते है तो आपको पता होगा कि तरंगों की wave nature और partical nature 
दोनों होती है.। और जैसा मैंने ऊपर बताया ब्रह्माण्ड का हर कण उसी जैसी प्रकृति के दूसरे कण को अपनी और आकर्षित करता है। जैसे पानी कण पानी के कणों को और मिट्टीके
 कण मिटटी के कणोको। जब हम सोचते है हमारे दिमाग से निकली तरंगे उन चीजो को 
हमारी तरफतरफ ज्यादा आर्कषित करती है जिनके बारे में हम सोचते है।
तो अगर आप ये सोचेंगे की आपको कार चाहिए तो कार से जुडी चीजें और लोग आपकी
तरफ आकर्षित होंगे। और कार को पाने के लिए जरूरी चीजे भी। और इसमें उससे समधित कठिनाईयां भी हो सकती है।
ज्यादातर लोगो को यह समझ नही आ पता की उनको चाहिए क्या है। मतलव वो अपना ध्यान एक स्थान पर एकाग्र नही कर सकते और फिर होता क्या है की उनको अपना लक्ष्य
हाशिल करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप चाहते है कि आपको आपका लक्ष्य जल्दी
प्राप्त हो तो आपको अपनी सोच को एकाग्र करना हो आपको वही सोचना होगा जो आप 
बास्तव में चाहते है। और रास्ते में आने वाली कठिनाईयो को हटाते चलिए।
तो आपकी सकारात्मक सोच आपके लक्ष्य तक पहुचाने का काम करती है।
तो हमेशा सकारात्मक सोचिये और अपने लक्ष्य की और बढ़ते रहिये।
आपको आपकी मंजिल जरूर मिलेगी ।

Sunday, 21 June 2015

मुर्गी पहले आई या अंडा.....

मुर्ग़ी पहले आई या अंडा......
एक सवाल जो हमे सदियो से मुश्किल में डालता आ
 रहा है... जब हमसे कोई पूछता है कि मुर्गी पहले
आई या अंडा तो हमारे पास इसका कोई संतोषजनक उत्तर नही  होता ।अगर हम कहते है कि अंडा पहले
तो प्रश्न कहाँ से आया । अगर हम कहते है कि मुर्गी
पहले आई तो प्रश्न, कहाँ से आई।


शेफील्ड और वारविक विश्वविद्यालय के विज्ञान के एक
दल ने दावा किया था कि अंडे से पहले मुर्गी आई।
उन्होंने पाया कि ओवॉक्लाइडीन नामक प्रोटीन अंडे का ऊपरी खोल बनाने में सहायक होता है। और यह प्रोटीन मुर्गी के अंडाशय में पाया जाता है.....
और इससे उन्हीने दावा किया की अंडे से पहले मुर्गी आई।  तो इससे ये कहाँ सुनिश्चित हुआ कि मुर्गी
मुर्गी कहा से आई....
इससे तो उन्होंने ये पता लगाया कि अंडे का खोल बनने
में उस प्रोटीन का योगदान है बस...
ऐसे तो अंडा बनने में और भी बहुत चीजो का
 योगदान होता है तो इससे ये तो सुनिश्चित नहीं
होता कि मुर्गी पहले आई या अंडा.....

अब आप ध्यान दिजिये जो मैं आपको बताने
जा रहा हूं ओर मुझे उम्मीद है कि इससे आपकी
यह समश्या हल हो जायेगी कि अंडा पहले आया या
मुर्गी।

धरती पर पहले न अंडा आया न ही मुर्गी धरती पर
सबसे पहले जीव आया । और  जीव कहाँ से आया ये भी
आप मेरी अन्य पोस्ट में जान जायेंगे। एक जीव ही विकशित होकर दूसरे जीवो की उत्पति का कारण बना
जब एक जीव से दूसरा जीव पैदा होता है तो उस जीव में
उस जीव जिससे वो पैदा हुआ और अपने स्वयं के
गुणसुतर होते है।
और पैदा हुआ जीव पैदा किये गए जीव से कुछ न कुछ
भिन्न हिता है। और यही भिन्नता धीरे धीरे एक नए जीव
कि उत्पत्ति कर देती है । मैं एक ऐसा उदाहण लेता हूँ जिससे आपको यह बिलकुल सुनिश्चित हो जायेगा।
जैसे हम सभी को पता है कि इंसान बानर का सुधरा हुआ रूप है। मतलब बानर में धीरे धीरे बदलाव आते
गए और इंसान की उत्पत्ति हो गई। अब बानर भी है और इंसान भी। इसी तरह मुर्गी भी किसी जीव का सुधरा हुआ रूप है जिसमे धीरे धीरे अंडे देने वाला जीव
बना और कुछ बिना अंडे के।
इस तरह मुर्गी ही अंडे से पहले बनी ये आप कह सकतेहैं।
आशा करता हूँ कि आपको विषय समझ आ गया होगा।
और गहराई में जाने के लिए आप मेरी पोस्ट को लगातार पड़े।
आपके सभी सवालों के जबाब मेरे पास हैं।
दुनियां का कोई भी सवाल........